Janvadi Samajh Aur Sahitya / जनवादी समझ और साहित्य
Author
: Ramnarayan Shukla
Language
: Hindi
Book Type
: Reference Book
Category
: Hindi Literary Criticism / History / Essays
Publication Year
: 1985
ISBN
: 9VPJSASH
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: viii + 160 Pages, Size : Demy i.e. 22.5 x 14 Cm.

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'जनवादी समझ और साहित्य' में न केवल कुछ साहित्यिक कृतियों का ठोस और प्रामाणिक विश्लेषण मिलता है, बल्कि जीवन-जगत की गति और प्रवृत्ति की विरोधी धाराओं को एक-दूसरे के सामने खड़ा करते हुए सही निष्कर्ष देने की कोशिश भी की गयी है। जनवाद और प्रगतिशीलता के नाम पर गैर-जनवादी-प्रतिक्रियावादी रुझानों तथा कलावादी प्रवृत्तियोंं को बिना हिचक खारिज किया गया है। साहित्य में जीवन की गति और प्रवृत्ति से अलग निरपेक्ष संसार की रचना नहींं हो सकती। यही पुस्तक की केन्द्रीय सोच है। विचार और प्रयोग दोनों स्तरों पर पुस्तक की उपादेयता असंदिग्ध है। प्रारंभिक निबन्ध चिन्तन से सम्बद्ध है जिनमें समकालिक विश्व, जनदृष्टि, रूप और वस्तु, साहित्य और राजनीति, रचना, आलोचना आदि विषयों के माध्यम से डॉ० शुक्ल की समझ और उसकी निश्चित दिशा का पता चलता है। शोध निबन्ध हिन्दी की उन प्रतिभाओं से सम्बद्ध हैं जिनके साहित्य की ताकत का मुख्य स्रोत उनकी लोकबद्धता ही है। प्रेमचन्द, रामचन्द्र शुक्ल, निराला, मुक्तिबोध, धूमिल और गीत और जनगीत के बहाने हिन्दी की विकासमान परम्परा तथा उसके इर्द-गिर्द मंडराती प्रवृत्तियों का सटीक परिचय देने में 'जनवादी समझ और साहित्य' की सार्थकता एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में रेखांकित हो सकती है।