Ghode Pai Hauda, Hathi Par Jeen (Natak Banati Kahaniyan) / घोड़े पै हौदा हाथी पर जीन (नाटक बनती कहानियाँ)
Author
: Bhanu Shankar Mehta
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Hindi Plays / Drama
Publication Year
: 2006
ISBN
: 8189498126
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: xvi + 128 Pages, Size : Demy i.e. 22.5 x 14.5 Cm.

MRP ₹ 120

Discount 20%

Offer Price ₹ 96

काशी नटराज की नगरी है। इस नगर में नित्य नई घटनाएँ होती हैं जो इतिहास बनते-बनते कहानी बन जाती हैं, जिन्हें कालान्तर में नाट्य रूपान्तरित कर उनकी पुनरावृत्ति की जाती है। ये कहानियाँ अपनी संवेदना के कारण सजीव हो उठती हैं और सहजता से रंगमंच पर अवतरित हो जाती हैं। ईस्ट इण्डिया कम्पनी के वारन हेस्ंिटग्स काशी-नरेश चेतङ्क्षसह को प्रताडि़त करने और गिरफ्तार करने काशी आते हैं, जनता के विद्रोह ने उन्हें सहसा भागने पर मजबूर किया, लोगों ने कहा — घोड़े पै हौदा और हाथी पर जीन, भाग गया वारन हेङ्क्षस्टग्स। यह काशीवासियों की जीवंतता का प्रतीक है। प्रमुख हिन्दी लेखकों प्रेमचंद, प्रसाद, विश्वम्भरनाथ शर्मा 'कौशिकÓ चंद्रधर शर्मा, 'गुलेरीÓ, शिवप्रसाद मिश्र 'रुद्रÓ मालती जोशी और नाट्य निदेशक तथा रंगकर्मी डॉ० भानुशंकर मेहता की कहानियाँ रंगमंच पर सजीव हो उठती हैं।