Kavi Banarasi Das Kee Atmakatha / कवि बनारसीदास की आत्मकथा
Author
: Gyan Chand Jain
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Biographies / Autobiographies
Publication Year
: 2006
ISBN
: 8171245072
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: x + 92 Pages, Size : Demy i.e. 22.5 x 14.5 Cm.

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बनारसीदास की आत्मकथा भक्तिकालीन हिन्दी साहित्य की एक अनूठी कृति है। उन्होंने तीन मुगल बादशाहों अकबर, जहाँगीर और शाहजहाँ का राज्यकाल देखा। उनके काल में बादशाहों की जीवनियाँ तो लिखी जाती थीं। मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर तथा उसके पड़पोते जहाँगीर ने अपनी आत्मकथाएँ भी लिखीं। किन्तु किसी सामान्य प्रजाजन के लिए अपनी आत्मकथा लिखना एक अचम्भे की बात थी। बनारसीदास केवल व्यापारी ही नहीं, कवि भी थे। उन्होंने यह अनोखा कार्य कर दिखाया। बनारसीदास का आत्मचरित हिन्दी ही नहीं भारतीय भाषा का पहला आत्मचरित है। उनका आत्मचरित उनके काल का एक महत्वपूर्ण साहितित्यक तथा ऐतिहासिक दस्तावेज है। उन्होंने हिन्दी भक्तिकाल के तीन बड़े कवियों—कबीरदास, सूरदास, तथा तुलसीदास के काव्य का मूल्यांकन उसकी सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक तथा राजनीतिक पृष्ठभूमि में करने के लिए अनमोल, अछूती सामग्री प्रस्तुत की है। उनकी आत्मकथा में अकबर, जहाँगीर, तथा शाहजहाँ के काल के जन-जीवन के ऐसे अछूते और दुर्लभ चित्र मिलते हैं जो अन्यत्र सुलभ नहीं हैं। आधुनिक हिन्दी गद्य भाषा के विकास का अध्ययन करने तथा मुगल काल में शासक वर्ग तथा प्रजा वर्ग के बीच आपसी संवाद की भाषा की जानकारी प्राप्त करने के लिए उनकी आत्मकथा में बहुत-सी अनमोल सामग्री है। वयोवृद्ध हिन्दीसेवी श्री ज्ञानचन्द जैन ने अपनी इस नवीनतम कृति में कवि बनारसीदास की आत्मकथा का एक सर्वथा अनूठा तथा ह्दय को छू लेनेवाला सरस अध्ययन प्रस्तुत किया है।