Badmash Darpan (Teg Ali Rachit) / बदमाश दर्पण (तेग अली रचित)
Author
: Narayan Das
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Folklore (Lok Sahitya-Bhojpuri etc.)
Publication Year
: 2002
ISBN
: 8171242618
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: xxii + 90 Pages, Append., Size : Demy i.e. 22 x 14 Cm.

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काशी ऐसी नगरी है, जहाँ बड़े-बड़े विद्वान पैदा हुए हैं। तो वहाँ स्वनामधन्य गुंडे भी पैदा हुए। ऐसे गुंडे जिन्होंने साहित्य और समाज के लिए उत्थान में सहयोग किया। नन्हकू सिंह, भंगड़ भिक्षुक, दाताराम नागर, प्रभृति अपने समय के प्रख्यात गुंडा थे। उन्हीं की परम्परा में थे तेग अली। गुंड से गुंडा शब्द बना है। जिसका अर्थ है आश्रय देना, रक्षा करना। काशी के गुंडे गरीबों को आश्रय देते थे। उनकी रक्षा करते थे। इसलिए उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा थी। तेग अली गुंडा थे और सहृदय रसिक भी, वे उन्नीसवीं सदी में और भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के परिचितों और साहित्य मण्डली के सदस्य भी थे। खांटी बनारसी थे। रसिक थे। शरीर सौष्ठव में सम्पन्न थे। गायक थे। होली में अपनी मण्डली के साथ होली गाते थे। कवि भी थे। विशुद्ध बोलचाल यानि काशिका में कविता करते थे। उन्होंने कविता के लिए गज़ल को अपनाया। उन्होंने 23 गज़लों में 200 शेरों की रचना की।