Yantra Mantra Rahasya / यंत्र-मंत्र रहस्य
Author
: Krishnanandaji Maharaj
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Tantra, Mantra, Yantra & Tantrik Stories
Publication Year
: 2015
ISBN
: 9788171247189
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: xii + 196 Pages, Size : Demy i.e. 21.5 x 13.5 Cm.

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सम्पूर्ण तंत्र-मंत्र के रहस्य का चिन्तन करने से यह निष्कर्ष निकलता है कि अप्राप्त वस्तु की प्राप्ति और प्राप्त वस्तु की रक्षा करना ही इस पथ/मार्ग का मुख्य उद्देश्य है। इसी को गीता में योगक्षेम कहा गया है। 'योगक्षेम' को 'शंयु: पुïष्टि:' शान्ति पदों द्वारा अभिव्यक्त किया गया है। तंत्र-मंत्र रहस्य में जो 'यातु' कृत्या और अभिचार कर्मों का प्रतिपादन किया गया है उसे लेकर कुछ विद्वानों ने सदमार्ग के विरुद्ध बवंडर खड़ा कर दिया है। हम किसी की निन्दा, आलोचना करने की प्रवृत्ति न रखकर इतना ही कहना चाहते हैं कि चारों वेदों का अध्ययन, सम्पूर्ण कर्म-काण्ड एवं तंत्र-मंत्र का अध्ययन, मनन, स्वाध्याय और चिन्तन तप: साध्य साधना साध्य है। 'तंत्र-मंत्र' रहस्य विद्या, तत्त्ïवज्ञान और जन-कल्याणकारी कर्मों का रहस्य है। इसमें कृत्यादूषण एवं अभिचार कर्म तंत्र-मंत्र एवं यंत्र साधना बताए गए हैं, उनका उद्देश्य आत्मरक्षार्थ है। अत: वे भी शांïित, पुष्टि के अन्तर्गत परिगणित हैं। अशुभ फलों के निवारण के लिए 'शम' कल्ïयाण के लिए किए जाते हैं। उनके मूल में 'शान्ति' ही है। इस ग्रन्थ का मुख्य उद्देश्य शत्रुओं, दुष्टों, का शमन करना होता है जिससे व्यक्ति का, जन-समुदाय का अशुभ न हो, उसे कोई हानि न हो। चारों वेदों कर्मकाण्डों एवं तंत्रशास्त्र का रहस्यमयी शक्ति का अस्तित्व अनादि काल से (लोग) मानव स्वीकार करते हैं। इस शास्त्र का मुख्य उद्देश्य किसी अभीष्ट की प्राप्ति के लिए उस रहस्यमयी आदिशक्ति की स्तुति की जाती है, यज्ञ किए जाते हैं, देवता भी उस आदिशक्ति की सहायता, कृपा के आकांक्षी होते हैं। ऋग्वेद संहिता में ऋषि विश्वामित्र अपने स्तुति सामर्थ्य से आदिशक्ति की प्रार्थना करते हुए कहते हैं—'भारतान जनान रक्षा।' अर्थातï् भारतीय प्रजा की रक्षा करो। सम्पूर्ण वेद-वेदांग का अध्ययन करने से यह निश्चित प्रतीत होता है कि हमारे पुरातन महर्षि और पूर्वज अपने-अपने इष्ट देवता में अगाध श्रद्धा रखते थे। निष्ठापूर्वक उनकी आराधना किया करते थे। उनका यह दृढ़-विश्वास था कि देवाराधन देव-स्तुति से उनकी समस्त आध्यात्मिक, भौतिक कामनाएँ पूरी होती हैं। वैदिक-काल और उत्तर वैदिक काल में आध्यात्मिक और लौकिक सिद्धि प्राप्त करने के लिए मंत्र सिद्धि प्राप्ति की जाती रही है। वह परम्परा अब भी प्रचलित है। तंत्र साधना द्वारा न केवल भौतिक सिद्धि प्राप्त की जाती है, अपितु उससे विमुक्ति भी प्राप्त होती है।