Alochana Aur Rachana Ki Ulajhanen / आलोचना और रचना की उलझनें
Author
: Mudrarakshas
Language
: Hindi
Book Type
: Reference Book
Category
: Hindi Literary Criticism / History / Essays
Publication Year
: 2011
ISBN
: 9788171248209
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: viii + 212Pages, Size : Demy i.e. 22.5 x 14.5 Cm.

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मुद्राराक्षस आलोचक के रूप में हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में 1953 में प्रकाशित अपने लेख 'प्रयोगवाद की प्रेरणाÓ से ही मशहूर हो गए। उनके मूल नाम 'सुभाषÓ के बजाय युगचेतना संपादक डॉ० देवराज ने यह लेख 'मुद्राराक्षसÓ नाम से छापा था। दर्शन, समाजशास्त्र और साहित्य के गंभीर अध्येता के रूप में आलोचना के क्षेत्र में वैचारिक गहनता के लिए मुद्राराक्षस हिन्दी के क्षेत्र में अद्वितीय प्रतिभा के तौर पर सामने आए। मुद्राराक्षस का साहित्य में हस्तक्षेप संस्कृत की आलोचना की तटस्थ परिभाषा के साथ ही पश्चिम की आलोचना की पड़ताल के साथ अपना एक अलग रास्ता बनाता है। अपने वैविध्यपूर्ण दार्शनिक और सांस्कृतिक विवेक और गहरे सामाजिक सरोकारों के कारण मुद्राराक्षस आलोचना का एक अलग प्रतिमान हैं। प्रस्तुत कृति में हिन्दी साहित्य के एक उस पक्ष के वे अकेले विवेचक हैं जो बीसवीं सदी के साठ के दशक में सामने आया था। इस सामाजिक उथल-पुथल के समय ने साहित्य में जिस तरह का हस्तक्षेप किया था उसके वे अकेले व्या?याकार हैं।