Bharatiya Sanskriti Ke Teen Sopan / भारतीय संस्कृति के तीन सोपान
Author
: Satya Prakash Mishra
  Rajaram Shastri
Language
: Hindi
Book Type
: Reference Book
Category
: Sociology, Religion & Philosophy
Publication Year
: 2014
ISBN
: 9789351460411
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: xii + 104 Pages; Size : Demy i.e. 21.5 x 14.5 Cm.

MRP ₹ 220

Discount 20%

Offer Price ₹ 176

प्रोफेसर राजाराम शास्ïत्री का व्ïयक्तित्ïव किसी परिचय का मोहताज नहीं है। तलस्ïपर्शी अध्ïययन, गहन चिन्ïतन एवं प्रामाणिक लेखन ने उन्ïहें महाप्राण में परिणत किया है। राष्ïट्रप्रेम की चेतना एवं लोक-मंगल की भावना ने उन्ïहें भारतीयता से स?ïपृक्त किया है एवं स्ïवतंत्रता-संघर्ष की ज्ïवाला में तपाकर उनके व्ïयक्तित्ïव को सँवारा है। समॢपत एवं संघर्षशील जीवन की संजीवनी ने उनके अनुभव एवं लेखन को ऊर्जस्ïिवत किया है। अध्ïययन एवं अनुभव का प्रत्ïयक्ष फल व्ïयवहार है। व्ïयवहार ही सिद्धांत की कसौटी है। कोई भी सिद्धामत स्ïवयमेव स्ïवयंसिद्ध नहीं है। व्ïयवहार ही उसके खरे अथवा खोटे होने की कसौटी है। हम सिद्धांत के रूप में कुछ सीखते हैं तो उसे व्ïयवहार में उतारते हैं। व्ïयवहार यदि अनुकूल नहीं हुआ तो सिद्धांत में अपेक्षित परिवर्तन करते हैं। इससे परिवॢतत एवं परिष्ïकृत वस्ïतुस्थिति की निॢमत्ति होती है। शास्ïत्रीजी के प्रस्ïतुत निबंधों में इसी अध्ïययन एवं कार्य-प्रणाली का प्रतिपादन किया गया है एवं उसके प्रकाश में समकालीन सामाजिक, राजनैतिक एवं आॢथक प्रवृत्तियों का आकलन किया गया है। लेखक दर्शनशास्ïत्र का गंभीर अध्ïयेता होने के साथ स्ïवयं मननशील मनीषा का स्ïवामी रहा है। समाज के विभिन्ïन वर्णों एवं वर्गों से उनका व्ïयावहारिक सरोकार रहा है। अध्ïययन, ङ्क्षचतन एवं अनुभूति के समन्ïवïयन की प्रखरता ने उनके निबंधों को समाजोपयोगी एवं व्ïयावहारिक बनाया है।