Sochen / सोचें
Author
: Prem Narayan Somani
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Adhyatmik (Spiritual & Religious) Literature
Publication Year
: 2016, 1st Edition
ISBN
: 9789351461401
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: xii + 88 Pages; Size : Demy i.e. 22.5 x 14.5 Cm.

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सोचें

जब तक हम अपनी धारणाओं, मान्यताओं, रूढिय़ों के अन्दर बन्द रहते हैं, तब तक हम चीजों को वैसा नहीं देख सकते हैं जैसी वे होती हैं। अन्धविश्वास, अन्ध-श्रद्धा, परम्पराओं में इतने जकड़े रहते हैं कि उसे तर्क की कसौटी पर या विश्लेषण करना आवश्यक ही नहीं समझते। लकीर के फकीर बने रहते हैं। यह बात धर्म और अध्यात्म के क्षेत्र में विशेष रूप से सब पर लागू होती है। जो प्रचलित है, परम्परागत है उसी को सच मानते रहते हैं। कहा भी गया है कि ''मजहब में अक्ल का दखल नहीं होता है।प्रथम बार जून 1991 में जिज्ञासावश मैंने विपश्यना का पहला शिविर किया और कल्याण मित्र सत्यनारायण गोयनकाजी के प्रवचन सुने तो अध्यात्म के प्रति मेरी आँखें खुलीं। चीजें वैसी नहीं हैं जैसा हम ऊपरी तौर पर उनके बारे में समझते हैं। नजरिया पलटा और उसने मेरी सोच और दृष्टि की सीमा को उदार और ज्यादा गहरा बना दिया। विपश्यना साधना ने दृष्टिकोण के बदलाव को अनुभूति पर उतारने का मौका दिया। म्भवत: इन लेखों को पढ़कर किसी एक पाठक को भी धर्म के सही स्वरूप को सोचने और समझने की प्रेरणा मिले और वह उन्हें तर्क की कसौटी पर उतार सके और कम से कम एक विपश्यना शिविर में सम्मिलित होकर धर्म को आजमा कर देखे, तो मैं इस प्रयास को सफल समझूँगा।प्रेमनारायण सोमानी