Tarun Sanyasi (Novel based on Swami Vivekanand) [PB] / तरुण संन्यासी (स्वामी विवेकानंद पर आधारित उपन्यास)
Author
: Rajendra Mohan Bhatnager
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Bio/Auto-Biographies - Spiritual Personalities
Publication Year
: 2001
ISBN
: 8171242723
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: viii + 148 Pages, Size : Demy i.e. 21.5 x 13.5 Cm.

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'तरुण संन्यासी' स्वामी विवेकानंद के जीवन पर आधारित उपन्यास है। परमहंस श्री रामकृष्ण देव के प्रसंग स्वामीजी के चरित्र विकास में मील के पत्थर सिद्ध कैसे हुए और उनका आज की तरुण पीढ़ी से क्या संवाद बन पाया? यह सब इस कृति के कलेवर में समाया हुआ है। स्वामी विवेकानंद नरेन्द्रनाथ दत्त ने अपने को विविदिषानंद बनाना चाहा परन्तु खेतड़ी के राजा अजित ङ्क्षसह ने उन्हें विवेकानंद से प्रकारा और वह अमेरिका प्रवास ङ्क्षकचित पूर्व वे स्वामी विवेकानंद होकर शीघ्र ही विश्व की अक्षय निधि सिद्ध हुए। यह गाथा भी इस कृति का उपजीव्य है। स्वामीजी का वेश विन्यास अर्थात् भगवा साफा और भगवा कमरखी (चोंगा) से पहचान भी राजस्थान ने करवायी—खेतड़ी के राजा ने। 'कर्म ही उपासना का धर्म है, आनंद ही कर्म का सुफल है', को उन्होंने अपने सूर्य चरित्र से प्रकट किया और जगत् को अमृत पुत्रों के वैभव से अलंकृत किया। स्वामीजी का दुद्धर्ष अन्तद्र्वन्द्व, निश्चल व्यवहार और कठोर तप-साधना वर्तमान और अनागत पीढ़ी के लिए अक्षय संपदा है। वह अदा तरुण रहे-भावों में, विचारों में, कार्यों में और जीवन शैली सम्पादन में। उनकी महती साधना-यात्रा इस कृति का आशीर्वाद बन सकी और तरुण पीढ़ी के संघर्ष-संधान का मेरुदंड-यही इसका कृतित्व है। स्वामीजी का दुद्धर्ष अन्तद्र्वन्द्व, निश्चल व्यवहार और कठोर तप-साधना वर्तमान और अनागत पीढ़ी के लिए अक्षय संपदा है। वह अदा तरुण रहे-भावों में, विचारों में, कार्यों में और जीवन शैली सम् पादन में। उनकी महती साधना-यात्रा इस कृति का आशीर्वाद बन सकी और तरुण पीढ़ी के संघर्ष-संधान का मेरुदंड-यही इसका कृतित्व है।