Ved Ki Kavita / वेद की कविता (वैदिक सूत्रों का हिन्दी काव्यान्तर)
Author
: Prabhu Dayal Mishra
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Hindi Poetical Works / Ghazal etc.
Publication Year
: 2001
ISBN
: 8171242758
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: xiv + 130 Pages, Size : Demy i.e. 22.5 x 14.5 Cm.

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इस कृति में ऋग्, यजुष् और अथर्व वेदों के कुछ महत्त्वपूर्ण सूक्तों का अनुवाद प्रस्तुत किया गया है। सूक्तों का चयन बुद्धिमत्तापूर्वक किया गया है। अनुवाद छन्दोबद्ध है, निश्छन्द और मिश्र शैली में भी। साथ ही यह इतनी सरल भाषा में है कि कोई भी इसे सरलता से समझ सकता है। वेद के सूक्त 'सरमा-पाणि-संवादÓ बहुत महत्त्वपूर्ण है। यह उस प्राचीनतमक काल की याद दिलाता है जब वैदिक जन इरावती (रावी) और शतद्रु (सतलज) के आसपास रहते थे। पास में उत्तर पश्चिम सीमा प्रान्त की पहाडिय़ाँ थीं। यह पणियों (वनजारों) का प्रदेश था। पणि लोग गोधन, भेड़-बकरियाँ बेचने खरीदने आते और रात में चुपचाप गायें चुराकर भाग जाते। वे गायों को दूर गुफाओं में छुपा देते। सरमा जासूसी करने वाले कुत्ता कुतियों में एक है। आज भी चोरों का पता लगाने के लिए सारमेयों (कुत्तों) का उपयोग किया जाता है। संवाद कवि कल्पना है। इसकी भूमि ब्रह्मïावर्त क्षेत्र है जहाँ राजा दाशराज्ञ का (ऋग्वेद में वॢणत) विकटतम युद्ध हुआ था। उर्वशी अप्सरा है—अप्सराओं में सर्वाधिक सुन्दरी। अप्सराओं और गन्धर्वों की एक पृथक् पर्वतीय जाति-ट्राइव थी जो सुन्दर होने के साथ नृत्य गान के लिए प्रसिद्ध थी। उषा, वाक्, पुरुष सूक्त अत्यन्त लोकप्रिय हैं। सूर्या विवाह तो हमारी विवाह संस्था का मूल ही है। यही स्थिति संज्ञान सूक्त की है। ये दोनों थोड़े से अन्तर के साथ ऋग् और अथर्व दोनों में मिलते हैं। अथर्व के पृथिवी सूक्त जैसी रचना तो सारे विश्व में कहीं नहीं है। मातृभूमि के प्रति श्रद्धा भक्ति की यह अप्रतिम रचना है। सूक्तों के चयन की दृष्टि से यह बड़ी महत्त्वपूर्ण कृति है। विषय-क्रम संवाद : सरमा-पाणि, विश्वामित्र-व्यास, सतलज, उर्वशी-पुरूरवा, स?ïबोधन : विष्णु, सूर्य, अग्नि, प्रार्थना : वाक्, श्री, पुरुष, विश्वेदेवा-एक, विश्वेदेवा-दो, दर्शन : नासदीय, हिरण्यगर्भ, विश्वकर्मा-१, विश्वकर्मा-२, स्क?भ (विश्वरूप), ज्ञान, महादेव-स्तुति, राष्टï्र : निर्माण, नमस्कार, सौमनस्य, जय, प्रकृति : पर्जन्य, मंडूक, उषा-१, उषा-२, उषा-३, उषा-४, उषा-५, उषा-६, उषा-७, सोम, समाज : सूर्या विवाह -एक, सूर्या विवाह - दो, पृथ्वी : संज्ञान, संकल्प, पृथ्वी।