Pashchatya Kavyashastra : Itihas, Siddhant Aur Vad / पाश्चात्य काव्यशास्त्र : इतिहास, सिद्धान्त और वाद
Author
: Bhagirath Mishra
Language
: Hindi
Book Type
: Reference Book
Category
: Hindi Literary Criticism / History / Essays
Publication Year
: 2019
ISBN
: 9789387643178
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: xii +244 Pages, Index, Biblio., Size : Demy i.e. 22.5 x 14 Cm.

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पाश्चात्य काव्यशास्त्र का परिप्रेक्ष्य, भारतीय काव्यशास्त्र से काफी भिन्न है। भारतीय काव्यशास्त्र का विवेचन भरतमुनि के नाट्यशास्त्र से हुआ जिसमें नाट्य-रचना पर उतनी सामग्री नहीं मिलती जितनी नाट्याभिनय पर। इस नाट्यशास्त्र का मु?य प्रतिपाद्य रस या रसानुभूति था। पाश्चात्य काव्यशास्त्र का आर?भ यूनान में हुआ जिसमें महाकाव्य और विषादान्त नाटक के आधार पर उसके सामाजिक पक्ष पर विचार किया गया। विवेचन, मनोवृत्तियों को शुद्ध और परिष्कृत करता है, जो कि विषादान्त नाटकों द्वारा प्रतिपादित होता है। भारतीय नाटक रस-प्रधान होने के कारण आनन्दप्रद या सुखान्त ही माने गये। भय, रौद्र आदि मध्य में आनेवाले अन्तिम सिद्धि की सफलता को अधिक आनन्दप्रद बनाने की दृष्टि से रखे गये। परन्तु पाश्चात्य काव्यशास्त्र में काव्य के मूल तत्त्व को लेकर उस प्रकार का सैद्धान्तिक विवेचन नहीं हुआ। वहाँ काव्यशास्त्र काव्य और नाटक से प्रार?भ अवश्य हुआ, परन्तु आगे चलकर काव्यशास्त्र, कलाशास्त्र के रूप में विकसित हुआ जिसमें काव्य के साथ-साथ चित्र और संगीत का भी विवेचन हुआ। कला का मूल प्रतिपाद्य सौन्दर्य है, इस आधार पर सौन्दर्य का दार्शनिक विवेचन पाश्चात्य काव्यशास्त्र की विशिष्टता ही नहीं, वरन् उसका एक विकसित पक्ष है। उसने रचना और कला के देखने-परखने के अनेक मार्ग उद्घाटित किये हैं। प्राय: कविता और चित्रकला के आन्दोलन साथ-साथ चलते रहे हैं और एक-दूसरे को प्रभावित करते रहे हैं। इन दोनों कलाओं में वस्तुवादी और भाववादी विचारधारायें साथ-साथ चलती रही हैं और आज भी चल रही हैं। पाश्चात्य काव्यशास्त्र के इतिहास, सिद्धान्त और वाद पर इस पुस्तक का उद्देश्य यही है कि हम सिद्धान्तों और वादों को इतिहास और पर?परा के प्रकाश में देख सकें और पाश्चात्य कला-साहित्य-चिन्तन को उसकी समग्रता में हृदयंगम कर सकें। विषय-सूची प्राक्कथन, प्रथम खण्ड : 1. पाश्चात्य काव्यशास्त्र का इतिहास : प्राचीन काल, 2. मध्ययुगीन कला-साहित्य-चिन्तन, 3. आधुनिक युगीन कला-साहित्य-चिन्तन, द्वितीय खण्ड : 4. काव्य-सिद्धान्त और वाद, (क) प्रमुख सिद्धान्त, (ख) प्रमुख वाद, सहायक अध्ययन-सामग्री, अनुक्रमणिका।