Tulsikrita Vinaypatrika Ka Kavyashastriya Adhyayan / तुलसीकृत विनयपत्रिका का काव्यशास्त्रीय अध्ययन
Author
: Ram Awatar Pandey
Language
: Hindi
Book Type
: Reference Book
Category
: Adhyatmik (Spiritual & Religious) Literature
Publication Year
: 2001
ISBN
: 8171242596
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: xxii + 312 Pages, Biblio., Size : Demy i.e. 23 x 14 Cm.

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गोस्वामी तुलसीदास मध्ययुगीन भक्ति आंदोलन के दार्शनिक, आध्यात्मिक और सामाजिक-सांस्कृतिक चेतना के प्रधान वाहक हैं। इस ग्रन्थ मेंं विस्तार से भक्ति आंदोलन और भक्ति भावना के उदय और विकास का लेखा-जोखा उपस्थित करते हुए गोस्वामी तुलसीदास के अवदान का मेंं सम्यक् आकलन किया गया है। तुलसीदास के काव्य में सर्वत्र भक्ति भावना अन्त: सलिला की भाँति प्रवाहित मिलती है। वे सगुण भक्तिधारा में मर्यादावादी दास्यभक्ति के प्रधान पोषक हैं। विनयपत्रिका में उनकी निश्छल भक्ति भावना जिस गलदश्रु भावुकता के साथ-साथ संसार की असारता, मन की चंचलता, अपनी क्षुद्रता और उपास्य की महत्ता के रुप में अभिव्यक्त हुई है, वह न केवल काव्य की दृष्टि से बल्कि भक्ति की भावना के महनीय ग्रन्थ के रुप में भक्तों के गले का कण्ठाहार बनी हुई है। अपने उपास्य राम के प्रति गोस्वामी तुलसीदास बड़े आर्तस्वर मेंं निवेदन करते हैं कि संसार मेंं रहते हुए वे बहुत दु:खी हैं। वह उनसे अपना उद्धार करने की प्रार्थना करते हुए गा उठते हैं : 'कबहुँक हौं यहि रहनि रहौंगीÓ विनयपत्रिका के पद मुक्तक होते हुए भी एक निश्चित क्रम से आबद्ध हैं। इस दृष्टि से विनयपत्रिका के पदों की तुलना हम उन अलग-अलग भास्वर मणियों या मोतियों से कर सकते हैं जिन्हें एक सूत्र में आबद्ध कर दिया गया है और वह सूत्र है इस कृति का पत्रिका का स्वरुप। विनयपत्रिका के अस विद्वत्तापूर्ण काव्यशास्त्रीय अध्ययन में लेखक ने विशिष्ट अध्ययन, अभिनव दृष्टिकोण और सूक्ष्म पर्यवेक्षण शक्ति का परिचय दिया है। तुलसी साहित्य के अब तक प्रकाशित श्रेष्ठ अध्ययनों में यह एक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है।