Yoga Vasishtha Ki Sata Kahaniyan / योग वासिष्ठ की सात कहानियाँ

Author
: Bharat Jhunjhunwala
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Yoga, Meditation, Health & Treatment
Publication Year
: 2007
ISBN
: 817124548X
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: xvi + 176 Pages, Size : Demy i.e. 21.5 x 13.5 Cm.
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OUT OF STOCKयोग वशिष्ठ की सात कहानियाँ
भूमिका
एक बार युवावस्था में श्रीराम को वैराग्य उत्पन्न हो गया था। संसार उन्हें भ्रम मात्र दिखने लगा था और सांसारिक कार्यों में उनकी रुचि नहींं रह गई थी। उसी समय महॢष विश्वामित्र अयोध्या पधारे थे। उनकी प्रेरणा से गुरु वसिष्ठ ने श्रीराम को उपदेश दिया जिसके फलस्वरूप श्रीराम राजकाज में प्रवृत्त हुए। यह उपदेश योग वासिष्ठ महारामायण के नाम से जाना जाता है।
कुछ ऐसी ही परिस्थिति मेरी थी। मेरे सामने प्रश्न था कि यदि संसार वास्तव में है ही नहींं तो फिर आॢथक विकास की क्या उपयोगिता है? जो सुख मुझे विषयभोग आदि में मिल रहा प्रतीत होता है यदि व भ्रम-मात्र है तो लेखन आदि कार्य करने की क्या जरूरत है? इसी बीच मेरे आध्यात्मिक गुरु स्वामी स्वयंबोधानंद ने योग वासिष्ठ का कम से कम दो बार अध्ययन करने का आदेश देने की कृपा की। योग वासिष्ठ के अध्ययन से इन प्रश्नों का मुझे जो उत्तर मिला वह इस पुस्तक मेंप्रस्तुत किया है।
इस पुस्तक में मेरी समझ का शिष्य और गुरु के संवाद के रूप में जोड़ दिया गया है। वस्तुत: दोनों मैं ही हूँ— या यूँ कहा जा सकता है कि शिष्य मेरी बुद्धि है और गुरु मेरी आत्मा है।
इस पुस्तक के दो पक्ष हैं। एक पक्ष योग वासिष्ठ की कहानियों को साधारण भाषा में आधुनिक समय के लिए उपयुक्त उदाहरणों के साथ बताना है। पुस्तक का दूसरा पक्ष मेरी अपनी समझ को बताना है। यह गुरु-शिष्य संवाद के रूप में दिया गया है। सात कहानियों में प्रत्येक में किसी एक विषय पर प्रमुखत: टिप्पणी की गई है। ये विषय इस प्रकार हैं—
लीला — युक्ति के रूप में ब्रह्मï को निष्क्रिय बताना।
भुशुण्ड — स्पाइनल कालम में चक्रों को आधुनिक मनोविज्ञान की दृष्टि से बताना
चूडाला — महापुरुषों की सक्रियता का रूप एवं कारण।
विद्याधरी — स्त्रियों की विशेष क्षमताएँ और आत्म-साक्षात्कार की समस्याएँ।
विपश्चित — कर्म सिद्धान्त की गलत व्याख्या से दलितों का शोषण एवं भारत का पतन।
बलि — लीलावाद एवं मायावाद का स्पष्टीकरण।
प्रह्लïाद — पूर्ण ब्रह्मï में विकास।
—भरत झुनझुनवाला