Manusmriti (Chapter II) Tattva-Bodhini / मनुस्मृति (द्वितीय अध्याय) [तत्त्व-बोधिनी]
Author
: Shiv Shankar Gupta
Language
: Hindi
Book Type
: Text Book
Category
: Ved, Puran, Smriti, Upnishad etc.
Publication Year
: 2024, 3rd Edition
ISBN
: 9789387643888
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: xiv + 112 Pages, Size : Demy i.e. 21.5 x 13.5 Cm.
MRP ₹ 80
Discount 15%
Offer Price ₹ 68
मनुस्मृति
(द्वितीय अध्याय)
'तत्तव-बोधिनी'
(श्रीकुल्लूकभट्ट प्रणीत 'मन्वर्थ मुक्तावली' तथा मेधातिथि प्रणीत अनुभाष्य सहित)
भारत एक धर्मप्राण देश है। इस धर्म का प्रतिपादक मनुस्मृति एक महत्त्वपूर्ण एवं प्रामाणिक ग्रन्थ है। इसकी लोकप्रियता ही इसकी उपयोगिता को प्रकट करती है। हमारे प्राचीनकाल के महर्षि अपने गम्भीर चिन्तन एवं गहन अनुशीलन के लिए विख्यात रहे हैं। महर्षि मनु उसी शृंखला में एक कड़ी है जिनकी सुप्रसिद्ध कृति है—मनुस्मृति।
आज के भौतिकवादी युग में मनुष्य अपना आध्यात्मिक एवं नैतिक बल खो चुका है। उसके चरित्र-बल का ह्रïास हो चुका है और वह अपने सामाजिक एवं राष्ट्रीय कत्र्तव्यों के प्रति प्रमादग्रस्त हो गया है। अत: मानव को सच्चे अर्थ में मनुष्य की कोटि में लाने के लिए, उसे सदाचार-बल का सम्बल देने के लिए, सामाजिक कत्र्तव्यों के प्रति जागरूक बनाने के लिए, मातृ-पितृ एवं आचार्य के प्रति अपने दायित्वों का बोध कराने के लिए, आत्मस्वरूप से परिचित कराकर मोक्ष लाभ के लिए, पुरुषार्थ चतुष्ट्य का सम्पादन कराने के लिए, पातकों से मुक्त होकर विशुद्ध जीवन जीने के लिए, पाशविक बन्धन से मुक्त होने एवं मुक्त होकर विशुद्ध जीवन जीने के लिए, पाशविक बन्धन से मुक्त होने एवं आत्मस्वरूप से परिचित होने के लिए, मानसिक सुख-शान्ति के लिए एक आदर्श मानव-समाज एवं राज्य की स्थापना के लिए आज मनुस्मृति जैसे ग्रन्थ के परिशीलन की महती अपेक्षा है।