Shakti Ka Jagaran Aur Kundalini / शक्ति का जागरण और कुण्डलिनी
					
					 
					Author
						: Gopinath Kaviraj
						Language
						: Hindi
						Book Type
						: General Book
						Category
						: Adhyatmik (Spiritual & Religious) Literature
						
						Publication Year
						: 2025
						ISBN
						: 9788171246601
						Binding Type
						: Paper Back
						Bibliography
						: xii + 208 Pages, Size : Demy i.e. 21 x 13.25 Cm.
						MRP ₹ 160
Discount 15%
Offer Price ₹ 136
शक्ति का जागरण और कुण्डलिनी
पुण्यलोक महामहोपाध्याय डॉक्टर गोपीनाथ कविराज उन ऋषिकल्प ज्ञानी महापुरुषों में अग्रणी थे जिनका अवतरण सहस्राब्दियों बाद कभी-कभी हुआ करता है। उनमें पाण्डित्य परिपूर्ण भाव से विराजित था, वेद, शास्त्र, पुराण, आगम-निगम तथा तन्त्रादि का भारतीय वाङ्मय में जो विपुल विस्तार है वह सब का सब उनके चित्केन्द्र में एक जगह सिमट आया था। प्रशान्त महासागर की थाह लगायी जा सकती है परन्तु जो ज्ञान का सागर उनमें लहरा रहा था उसकी इयत्ता नहीं है। उनका पंचभौतिक शरीर तो अब तिरोहित है परन्तु अपनी अमूल्य कृतियों के रूप में वे अनन्त काल तक जीवित और साधकों का मार्गदर्शन करते रहेंगे। प्रस्तुत ग्रन्थ—शक्ति का जागरण और कुण्डलिनी—में अनेक भक्त जिज्ञासुओं द्वारा कविराजजी से समय-समय पर किये गये प्रश्नों के उत्तर संगृहीत हैं। ज्ञान में रुचि रखने वाले पाठक इस पुस्तक को एक ही बार पढ़कर तृप्त नहीं होंगे बल्कि बार-बार पढ़ेंगे। इस पुस्तक में सत्संग, सिद्धि और ज्ञान की पूर्णता, व्याहृतितत्त्व, क्षण-संकल्प और विकल्प, भगत्वप्रेम, रसब्रह्मï की साधना, गीता और अखण्ड योग, गुरुभाव, कालराज्य, शक्ति क्या है और उसके जागरण से क्या तात्पर्य है आदि विषयों पर चर्चा है। वस्तुत: गूढ़ विषयों को सरलतम ढंग से कह देना ही कविराज की विशेषता है।
अनुक्रम : 
1. सत्संग
2. सत्य की पहचान 
3. आकर्षण और विकर्षण
4. सिद्धि-ज्ञान-पूर्णत्व
5. लोक-लोकान्तर और व्यहृतितत्त्व 
6. आवरण-उन्मोचन
7. पूर्ण प्रज्ञा का विकास
8. स्वरूप-दर्शन
9. क्षण, संकल्प और विकल्प : आत्मसमर्पण
10. भगवत्-प्रेम
11. रस ब्रह्मï की साधना 
12. माया, प्रकृति तथा सृष्टिï-रहस्य
13. दीक्षा की आवश्यकता 
14. अतिमानस एवं अधिमानस
15. गीता और अखण्ड महायोग
16. उत्कंठा, व्याकुलता, गुरुभाव
17. कालराज्य
18. काम-कला-प्रसंग
19. ज्ञान समुच्चय कर्म, कर्म समुच्चय ज्ञान और युद्धज्ञान
20. नवमुण्डी 
21. ओंकार तत्त्व और रहस्य विज्ञान 
22. श्री चक्र का अवतरण या विश्वसृष्टिï रहस्य
23. कुण्डलिनी शक्ति का जागरण
24. शक्ति का जागरण और महाप्रकाश का आत्मप्रकाश।