Shri Sadhana / श्रीसाधना
Author
: Gopinath Kaviraj
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Adhyatmik (Spiritual & Religious) Literature
Publication Year
: 2017
ISBN
: 9789351461838
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: viii + 128 Pages, Size : Demy i.e. 21.5 x 13.5 Cm.

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<div align="left">श्रद्धेय महामहोपाध्याय डॉक्टर गोपीनाथ कविराज एक असाधारण व्यक्ति थे। वह अपने में ही एक विभूति और संस्था थे। 20वीं शती में हमारे देश में कुछ प्रसिद्ध साधक हुए हैं। कुछ प्रसिद्ध दार्शनिक भी हुए हैं, किन्तु साधना और दार्शनिक प्रतिभा का जो सुन्दर समन्वय श्रद्धेय कविराजजी में मिलता है वह कहीं अन्यत्र नहीं मिलता। इस संग्रह में प्रकाशित प्रत्येक लेख एक अमूल्य रत्न है। दो उदाहरण पर्याप्त होंगे। 'श्रीचक्र' शीर्षक लेख में कविराजजी ने विश्वसृष्टि के विषय में, तंत्र की जो भ्रामक दृष्टि है, उसका बहुत ही मनोरम चित्रण किया है। इसका विस्तृत वर्णन तंत्र सद्भाव में मिलता है। तंत्र सद्भाव एक अद्भुत ग्रन्थ है। यह अभी तक अप्रकाशित है। कश्मीर के अपूर्व तंत्रसाधक स्वामी लक्ष्मणजू ने नेपाल से इसकी एक प्रति प्राप्त की है, किन्तु वह नेवारी लिपि में लिखी हुई है जिसका अभी तक नागरी लिपि में प्रकाशन नहीं हुआ है। क्षेमराज ने विश्वसृष्टि के विषय में अपनी शिव-सूत्र की व्याख्या में एक संक्षिप्त उद्धरण दिया है। उस संक्षिप्त उद्धरण के आधार पर कविराजजी ने अपने लेख में विश्वसृष्टि के विषय में जो विस्तृत वर्णन दिया है उससे पाठक चकित हो उठता है। ऐसे ही 'प्रेमसाधना' शीर्षक लेख में कविराजी ने कुछ तथ्य ऐसे दिये हैं जिनसे उनकी मौलिकता सिद्ध होती है। उनका कहना है कि यथार्थ प्रेमसाधना के लिए पहले भावसाधना आवश्यक है। भावसाधना है स्वभाव की साधना, इत्यादि। इस संग्रह का प्रत्येक लेख गाम्भीर्यपूर्ण है। कई बार पढऩे पर ही वह समझ में आ सकता है किन्तु समझ में आने पर अज्ञानतिमिर का अपसारण हो जाता है। अनुक्रम : 1. श्रीचक्र, 2. श्रीमाता का मन्दिर, 3. अवतार और विश्व-कल्याण, 4. काली-रहस्य, 5. कौलिक दृष्टिï से शक्ति का विकास-क्रम, 6. साधक-दीक्षा और योगी-दीक्षा, 7. आगमिक दृष्टिï से साधना, 8. प्रेम-साधना, 9. प्राणायाम, 10. ध्यानयोग और प्रेम-साधना, 11. शतभेदी कर्म, 12. आत्मा की पूर्ण स्थिति तथा पूर्ण स्वरूप-प्राप्ति के उपाय, 13. आत्मतत्त्व और ब्रह्मïतत्त्व, 14. मानव-जीवन की पूर्णता, 15. आत्मा की यात्रा, 16. अध्यात्म-साधना में जप का स्थान, 17. अध्यात्म-मार्ग में कृपा और कर्म, 18. ओंकार, 19. गति-स्थिति, 20. तीर्थ, 21. शंकराचार्य कृत दक्षिणामूर्ति स्तोत्र, 22. शरणागति, 23. आध्यात्मिक काशी, 24. राम-नाम की महिमा, 25. महाशक्ति का आह्लïादिनी स्वरूप, 26. काशी में मृत्यु और मुक्ति, 27. श्री सत्यठाकुर द्वारा वर्णित अनुभव, 28. मृत्यु-विज्ञान।</div>