Ghananand-Kavitta (Aacharya Vishwanath Prasad Mishra Krit) / घनआनन्द कवित्त (प्रथम शतक) (आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र कृत)
Author
: Vishwanath Prasad Mishra
Language
: Hindi
Book Type
: Text Book
Category
: Hindi Poetical Works / Ghazal etc.
Publication Year
: 2026
ISBN
: 9788171249268
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: xxxii + 112Pages; Size : Demy i.e. 21.5 x 14.5 Cm.

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'घनआनन्द-कवित्त' में घनआनन्ïद के मात्र एक शतक छन्दों को स्थान दिया गया है जो भारत के प्राय: सभी विश्वविद्यालयों-महाविद्यालयों के हिन्दी पाठ्यक्रम में स्वीकृत है और पढ़ाया जाता है। घनआनन्द ही घनानन्द हैं। यहाँ संज्ञाओं के हेर-फेर में नहीं पडऩा चाहिए। इस दिशा में अनेक पाठालोचकों एवं सम्पादकों ने विपुल कार्य किया है। इस ग्रन्थ को प्रकाशित करने के पीछे दो ध्येय थे—प्रथम 'घनआनन्द-कवित्त' के अभाव की पूर्ति तथा दूसरा 'शुद्ध-पाठ'। कुछेक ग्रन्थ 'घनानन्द कवित्त' या 'घनानन्द-शतक' नाम से उपलब्ध मिलते हैं, किन्तु पाठकों एवं विद्यार्थियों को शुद्ध-पाठ मिल सके, यह इस ग्रन्थ के प्रकाशन का प्राथमिक संकल्प है। हिन्दी साहित्य में प्राचीन साहित्य के प्रति लेखकों की अरुचि बढ़ती जा रही है। विद्यार्थी भी आधुनिक साहित्य में सिमटते जा रहे हैं। हिन्दी की सार्वभौमिक सत्ता की जड़ हमारे प्राचीन साहित्य में निहित है, अत: उससे विमुख होकर अपने रिक्थ से अलग नहीं रह सकते। हिन्दी काव्य-परम्परा के सशक्त महाकवि के रूप में घनआनन्द को भूलना अपनी साहित्यिक परम्परा से च्युत हो जाना है। घनआनन्द की महत्ता को सर्वतोभावेन आचार्य विश्वनाथप्रसाद मिश्रजी ने स्थापित कर दिया था। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष आचार्य प्रो० राधेश्याम दुबेजी पं० मिश्रजी के पट्टप्रशिष्य हैं, जिनके निर्देशन की इस कृति की सर्जना में महती भूमिका रही है।