Sagun-Nirgun Bhakti Vaishishtya, Sam, Asam, Drishti / सगुण-निर्गुण भक्ति वैशिष्ट्य, सम, असम, दृष्टि

Author
: Manju Dwivedi
Language
: Hindi
Book Type
: Reference Book
Category
: Hindi Literary Criticism / History / Essays
Publication Year
: 2013
ISBN
: 9788171249732
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: xii + 100 Pages; Size : Demy i.e. 23 x 15 Cm.
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प्रस्ïतुत संग्रह की बात! आज के युग में वैदिक पर?ïपराओं और ऋचाओं के प्रति आमजन में कोई दिलचस्ïपी नहीं है। पाश्ïचात्ïय संस्ïकृति हावी होती जा रही है। विज्ञापनों के चंगुल में फँसी नई पीढ़ी काफी हद तक प्रैक्ïिटकल और इंटेलीजेंट है। परन्ïतु अपने वैदिक इतिहासों की पृष्ïठभूमि से परिचित नहीं है। अत: हमें उन्ïहें अपने साहित्ïयेतिहासों से अवगत कराना होगा। हिन्ïदी साहित्ïय के इतिहास में कविता, कहानी, नाटक, निबन्ध, आलोचना, समीक्षा का हर काल में अपना सर्वोपरि स्थान रहा है। इसी लक्ष्ïय के तहत लेखिका ने कोशिश की है कि सगुण साकार ब्रह्मï और निर्गुण निराकार ब्रह्मï के बिखरे-छुपे मोतियों को एकत्रित करके साहित्ïय में एक अदï्भुत चमत्ïकार पैदा किया जा सके। अतएव सगुण एवं निर्गुण ब्रह्मï के सम-असम मोतियों को एक में गूँथकर माला का रूप देने का प्रयास किया गया है। इस पुस्ïतक में विशेष रूप से नि?ïन बिन्ïदुओं पर विमर्श हुआ है। यथा—भक्ति का स्ïवरूप क्ïया है? उसका प्रादुर्भाव कैसे हुआ? सगुण-निर्गुण ब्रह्मï का औचित्ïय क्ïया है? और दोनों के स?ïप्रदाय तथा उपासक कौन हैं? तथा उनकी साधना-पद्धति, मूॢतपूजा, कर्मकाण्ïड जाति-पाँति का खण्ïडन-मण्ïडन, गुरु-महिमा, नाम-महिमा, चित्तशुद्धि में सगुण भक्त एïवं निर्गुण सन्ïत एक-दूसरे से कहाँ तक समानता रखते हैं। तथा दोनों के विचार-भाव एक गुलदस्ïते में विभिन्ïन प्रकार के फूलों के समान हैं। इस पुस्ïतक में भक्ति के काल-खण्ïडों की विवेचना एवं दोनों पक्षों (सगुण-निर्गुण) के विभिन्ïन स्ïवरूपों का मौलिक चिन्ïतन एवं विश्ïलेषण समय सापेक्ष है, जो सहज, सरल, सुबोध शैली में सम-सामाजिक तुलनात्ïमक अध्ïययन का एक दस्ïतावेज है।