Banarasi Boli / बनारसी बोली
Author
: Shashikala Tripathi
  Vachaspati Upadhyay
Language
: Hindi
Book Type
: Reference Book
Category
: Benares / Kashi / Varanasi / Ganga
Publication Year
: 2016, 1st Edition
ISBN
: 9789351461388
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: xxiv + 88 Pages; Size : Demy i.e. 22.5 x 14.5 Cm.

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पुस्तक 'बनारसी बोली' में ऐतिहासिक, भौगोलिक व प्रायोगिक आधार पर बनारसी बोली के वाचिक व लिखित स्वरूप की विवेचना हुई है। आचार्य वाचस्पति उपाध्याय ने आमुख में राजनैतिक साक्ष्यों के माध्यम से यह स्पष्ट किया है कि बनारसी बोली भोजपुरी का अंग कैसे बनी। धर्म, शिक्षा, राजनीति और संस्कृति का नगर 'बनारस' का सम्बन्ध भारतदेश के विभिन्न प्रान्तों से प्राचीनकाल से रहा है। अत: यात्रियों की बोली भाषा से बनारसी बोली समृद्ध हुई है। पुस्तक में व्याकरण के अवयवों का ऐसा पाठ दिया गया है जिससे बनारसी बोली का स्वरूप स्पष्ट होता है। शब्द, वाक्य और भाषा की शुद्धता का विचार व्याकरण द्वारा ही सम्भव होता है। पुस्तक में औच्चारणिक व्यवस्था के अनुसार ध्वनि भेदों पर विस्तृत प्रकाश डाला गया है। विकारी पद नाम, सर्वनाम, परसर्ग, व्याकरणिक कोटियाँ—लिंग, वचन, पुरुष, कारक, आख्यात, काल, वाक्य विचार, वाक्य के विभाग-उद्देश्य और विधेय, शब्द क्रम, कत्र्ता और क्रिया आदि पर सविस्तार विवेचना हुई है। 'मैं' के स्थान पर 'हम' का प्रयोग और सकर्मक क्रिया भूतकाल में कत्र्ता के रूप में 'ने' चिह्नï का लोप इस बोली की विशेषताओं का एक नमूना है। भाषा विज्ञान और भोजपुरी साहित्य के लिए पुस्तक अनिवार्य रूप से पठनीय है। विदुषी डॉ० शशिकला त्रिपाठी द्वारा पुस्तक बनारसी बोली का सम्पादन / पुनप्रकाशन श्लाघनीय है। —प्रो० रामबरश मिश्र भाषा विज्ञान-विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी