Nyayadarshanam (Nyayasutra) of Maharshi Gautama / गौतमीयं न्यायदर्शनम् (वात्स्यायनभाष्यसंवलितम्)
Author
: Dwarikadas Shastri
Language
: Hindi + Sanskrit
Book Type
: Reference Book
Category
: Bauddha / Pali Literature / Buddhism
Publication Year
: 1999
ISBN
: 8OTNyay
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: 348 Pages; Size : Demy i.e. 22.5 x 14.4 Cm.

MRP ₹ 600

Discount 15%

Offer Price ₹ 510

NYAYADARSHANAM (NYAYASUTRA) MAHARSHI GAUTAMA BHASHYA (वात्स्यायनभाष्यसंवलितम्) गौतमीयं न्यायदर्शनम् [हिन्दीभाषान्तरसम्पन्नम्] (टिप्पण्यादिसमलंकृतञ्च) वात्स्यायन ने अपने भाष्य में अत्यधिक स्थलों पर ऐसे लघु वाक्यों का प्रयोग किया है कि उन वाक्यों के सूत्र होने का सन्देह होता है। भाष्यकार की यह शैली है कि वे सूत्र का अक्षरार्थ कर पुन: विस्तृत व्याख्यान करने के लिये अपनी बात को पहले संक्षेप (एक वाक्य में रखते हैं, फिर उसका अनेक वाक्यों में व्याख्यान करते हैं। ये संक्षिप्त वाक्य प्रारम्भ में जैसे भी रहे हों आगे चलकर न्यायदर्शन के सूत्रों को सुरक्षित रखने में बाधक बन बैठे। कारण, प्रतिपक्षी दार्शनिक जब नैयायिकों के तर्कों से पराभूत होने लगे तो उन्होंने भी इन न्यायसूत्रों में स्वमतपोषक सूत्र बना बनाकर प्रक्षिप्त करने आरम्भ कर दिये।