Kabir Vangmaya [Part 2] : SABAD [PB] / कबीर वाङ्मय [खण्ड-२] : सबद (भावार्थबोधिनी व्याख्या सहित) (पेपर बैक)

Author
: Vasudeo Singh
Mahatma Kabir Das
Jaidev Singh
Mahatma Kabir Das
Jaidev Singh
Language
: Hindi
Book Type
: Reference Book
Category
: Adhyatmik (Spiritual & Religious) Literature
Publication Year
: 2023 Edition
ISBN
: 9788171248087
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: xxxxviii + 512 Pages, Append., Size : Demy i.e. 21.5 x 13.5 Cm.
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कबीर वाङ्मय : खंड 2
सबद
लेखक : डा. जयदेव सिंह, डा. वासुदेव सिंह
कबीर का साहित्य सीधा-सरल नहीं है। उसमें एक साधक-चित्त की अनुभूति की गहराई है। कवि ने जिस अनिर्वचनीय परमतत्त्व को वाणी का विषय बनाया है, उसकी अभिव्यक्ति अभिधा द्वारा सम्भव नहीं। अत: उसने प्रतीकों का सहारा लिया है अथवा ध्वनि या व्यञ्जना के द्वारा उस परमानन्द का संकेत किया है। इसीलिए उनकी वाणी प्राय: अटपटी या उल्टी लगती है। उनके काव्य में निहित प्रतीकों का ध्वन्यार्थ को समझे बिना, भावों की गहराई तक पहुँचना अत्यन्त कठिन है। इसके अतिरिक्त कबीर के पहले नाथ-योगियों, बौद्ध-सिद्धों तथा अन्य साधना-सम्प्रदायों की लम्बी परम्परा थी। अनेक पारिभाषिक शब्द इन सम्प्रदायों में परम्परा से प्रयुक्त होते चले आ रहे थे। कबीर ने अपनी बात स्पष्ट करने के लिए अनेक शब्दों को ग्रहण किया है। किन्तु यहाँ उनका अर्थ ठीक नहीं रह गया है, जो परम्परा से मान्य है। कबीर ने उन्हें नयी अर्थवेत्ता से भास्वर कर दिया है। अतएव कबीर को समझने के लिए विशिष्ट शब्दों की परम्परा और पृष्ठभूमि से अवगत होना आवश्यक है।


