Agyeya : Ek Manovaigyanik Adhyayan / अज्ञेय : एक मनोवैज्ञानिक अध्ययन
Author
: Jwala Prasad Khetan
Language
: Hindi
Book Type
: Reference Book
Category
: Hindi Literary Criticism / History / Essays
Publication Year
: 1990
ISBN
: 9VPAEMAH
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: xii + 146 Pages, Size : Demy i.e. 21.5 x 14 Cm.

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प्रस्तुत पुस्तक अज्ञेय की समस्त रचनाओं को ''एक घोर ईमानदार आदमी का अभिन्नतम निजी दस्तावेज' मानकर उनके भाव जगत की अन्तर्यात्रा का मानचित्र प्रस्तुत करने की चेष्टïा करती है। आधुनिक मनोविज्ञान की सहायता से उन अन्त:प्रक्रियाओं को विश्लेषित करने की चेष्टा करती है जो अज्ञेय की चेतना की संस्कार, चेष्टïा की अपरिहार्य दिशा थी, जिनमें से ही उन्हें अपने 'नियति के सूत्र' पहचानने थे। ''लेखक द्वारा किया गया मनोविश्लेषण सम्बन्धी सिद्धान्तों का विवेचन जितना स्वच्छ है, उतना ही दक्ष विश्लेषण अज्ञेय के कृति साहित्य का उन सन्दर्भों में है। पुस्तक का अध्ययन कई स्तरों पर और कई तरह से उपयोगी होगा।—रामस्वरूप चतुर्वेदी ''आर्कीटाइपल आलोचना के क्षेत्र में यह सारगॢभत पुस्तक एक पहल मानी जायेगी। आलोचना-पुस्तक की भाषा तथा विषय प्रतिपादन कितना साफ, सटीक, संक्षिप्त और संश्लिष्टï हो सकता है—उसकी नायाब मिसाल यह पुस्तक है। हिन्दी आलोचना के क्षेत्र में मनोवैज्ञानिक आलोचना की दृष्टि से यह पुस्तक विचारणीय और विवादपूर्ण सिद्ध होगी।—रमेश कुंतल मेघ विषय-सूची : सिद्धान्त—1. फ्रायल एडलर तथा युंग, 2. युंग का मनोविज्ञान (क) सामान्य परिचय, (ख) व्यक्तित्व के प्रकार, (ग) व्यक्ति जीवन का उत्तर-काल, (घ) व्यक्तिकरण के सिद्धान्त, (ङ) व्यक्ति चेतना की दार्शनिक परिणति, विषय-प्रवेश—3. स्रष्टïा एक विवश यात्री, 4. व्यक्ति निरपेक्ष सृजन की सम्भावनायें, 5. विकासशील व्यक्तित्व तथा मानसिक कुंठायें, अनुशीलन—6. अज्ञेय में यौन वर्जना का उदय तथा विस्तार, 7. अज्ञेय में यौन वर्जन का तिरोभाव, 8. चिरंतन नारी का आद्य-बिम् ब—'शेखर की शशि', 9. 'नदी के द्वीप—एक उपलब्धि', 10. विज्ञ पुरुष का आद्य-बिम्ब—(क) 'हरीघास पर क्षण भर' (ख) 'बावरा अहेरी', 11. आत्म-पद का आद्य-बिम्ब—(क) भवन्ति के स्वप्न, (ख) इन्द्रधनु रौंदे हुए ये, (ग) चक्रान्त शिला, (घ) असाध्य वीणा, 12. अज्ञेय की सागर मुद्रा—(क) आँगन के पार द्वार, (ख) कितनी नावों में कितनी बार, (ग) सागर मुद्रा, परिशिष्ट, 13. अज्ञेय की रचना में मृत्यु-गंध, 14. अज्ञेय के व्यक्तित्व प्रकार निर्धारण की चेष्टï, शब्दानुक्रमणिका।