Hindi Gadya : Prakriti Aur Rachna Sandarbha / हिन्दी गद्य : प्रकृति और रचना सन्दर्भ
					
					
					Author
						: Ramchandra Tiwari
						Language
						: Hindi
						Book Type
						: Reference Book
						Category
						: Hindi Literary Criticism / History / Essays
						
						Publication Year
						: 2004
						ISBN
						: 8171243800
						Binding Type
						: Hard Bound
						Bibliography
						: viii + 200 Pages, Size : Demy i.e. 22.5 x 14.5 Cm.
						MRP ₹ 200
Discount 20%
Offer Price ₹ 160
						इस पुस्तक में ऐसे निबन्धों का संग्रह है जो हिन्ïदी-गद्य की जातीय प्रकृति को किसी न किसी रूप में रेखांकित करते हैं। इस कृति में पाठकों को 'भारतेन्ïदुÓ से लेकर नये कवियों और कथा-लेखिकाओं के गद्य के रंगरूप और प्रकृति का आभास कराने का प्रयास किया गया है।
'भारतेन्ïदुÓ के लेखन-काल के पहले से कलकत्ते से प्रकाशित होने वाले समाचार-पत्रों की भाषा की प्रकृति भी उसी हिन्ïदी से मिलती-जुलती थी जिसे अपनाकर 'भारतेन्ïदुÓ आगे बढ़ रहे थे। 'भारतेन्ïदुÓ के बाद महावीरप्रसाद द्विवेदी ने उसे परिष्ïकृत और बाबू बालमुकुन्ïद गुप्ïत ने चुस्ïत-दुरुस्ïत करके मुहावरेदार बना दिया। उनके बाद 'प्रेमचंदÓ ने हिन्ïदी-गद्य की जातीय प्रकृति को विस्ïतार, वैविध्ïय और निखार के साथ ही सामाजिक जीवन के यथार्थ से जोड़कर ऐतिहासिक महत्त्ïव का कार्य किया। 'प्रेमचंदÓ के गद्य ने सुन्ïदरता की कसौटी बदल दी। उन्ïहोंने गाँवों, झोपड़ों और खण्ïडहरों में रहने वाले गरीबों के जीवन-संघर्ष में सौन्ïदर्य देखा।
'प्रेमचंदÓ के बाद का हिन्ïदी-गद्य रचनाकारों की मानसिक सत्ता के विस्ïतार, समृद्धि, उत्ïकर्ष और रचनाधॢमता के बदलते आयामों के साथ बहुवर्णी होता गया है। अब वह जीवन के जटिलतम यथार्थ को व्ïयक्त करने में पूर्णत: समर्थ है। उसकी सांस्ïकृतिक समृद्धि आश्ïवस्ïत करने वाली है। 
प्रस्ïतुत संग्रह के निबन्धों में पाठकों को उसकी इस समृद्धि का आभास मिलेगा। इस कृति में संगृहीत निबन्धों का उद्देश्ïय मात्र यह स्ïपष्ïट करना है कि हिन्ïदी-गद्य की मूल प्रकृति न तो संकीर्ण है, न साम्ïप्रदायिक। उसे हम संघर्षशील हिन्ïदी-भाषी जनता की सम्ïपूर्ण मानसिकता के गतिशील प्रतिबिम्ïब के रूप में देख सकते हैं।