Saraswat Bodh Ke Pratiman : Acharya Ramchandra Tiwari / सारस्वत बोध के प्रतिमान : आचार्य रामचन्द्र तिवारी
Author
: Ved Prakash Pandey
  Amarnath
Language
: Hindi
Book Type
: Reference Book
Category
: Biographies / Autobiographies
Publication Year
: 2005
ISBN
: 8171244238
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: viii + 332 Pages, Append., Size : Demy i.e. 22.5 x 14.5 Cm.

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आचार्य रामचन्द्र तिवारी, पूर्वी उत्तर प्रदेश का एक ऐसा व्यक्तित्व जिस पर शिक्षकों की बिरादरी गर्व कर सकती है। ऐसा लेखक जिसने लेखन को साधना के रूप में ग्रहण किया, शिक्षण को जीवन का पवित्रतम धर्म माना और ईमानदारी को सहज आचरण। आचार्य तिवारी में कबीर की दृढ़ता है तो रामचन्द्र शुक्ल का स्वाभिमान, दायित्व के प्रति कभी समझौता न करने वाली महावीर प्रसाद द्विवेदी का संकल्प शक्ति है तो हजारी प्रसाद द्विवेदी का पाडित्य। पढऩा जिनका व्यसन है-पढ़ाना स्वभाव। करुणा रक्त में घुली हुई है मगर आँखों में बानी बनकर छलकती बहुत कम है। जिन्हे भी आचार्य रामचन्द्र तिवारी से पढऩे या कुछ भी सुनने का अवसर मिला है, उन्हें तिवारीजी को भुला पाना सम्भव नहीं है। पचास वर्षों से भी अधिक का जीवन अध्ययन-अध्यापन, चिन्तन -मनन, लेखन-मार्गदर्शन और आलोचना कर्म समर्पित रहा है। ८० वर्ष की आयु में भी वे सक्रिय हैं। नये पुराने विषयों पर उनके निबन्ध/विनिबन्ध निरन्तर छप रहे हैं। ग्रन्थ प्रकाशित हो रहे हैं। जिज्ञासु छात्रों, शिक्षकों, शोधार्थियों और लेखकों के लिए वे एकविमर्शकार के रूप में सहजभाव से उपलब्ध हैं। साहित्य -शास्त्र, दर्शन, रचना सौन्दर्य और इतिहास पर, कल की तरह आज भी, वे सार्थक संवाद की स्थिति में है। वे हिन्दी के गद्य साहित्य-आलोचना के विशेष सन्दर्भ में -केप्रामाणिक सन्दर्भ पुरुष के रुप में हमारे बीच विद्यमान हैं। श्रद्धा और कृतज्ञता की इसी भाव-भूमि से गुरुवर तिवारीजी के 82वें वर्ष में प्रवेश के अवसर पर श्रद्धा स्वरुप 4 जून 2005 को यह ग्रन्ध समर्पित है। हमें विश्वास है कि इस ग्रन्थ के प्रकाशन से तिवारी जी की पीढ़ी के लोगों, उनके मित्रों, शिष्यों पाठकों और प्रशंसकों को प्रसन्नता होगी और साहित्य में रुचि रखने वाली भावी पीढिय़ों को प्रेरणा मिलेगी।